कपास में गुलाबी सुंडी का प्रकोप, कारण एवम् नियंत्रण के सामान्य उपाय
Pink boolwarm in Cotton: इस समय कॉटन की फसल में अनेक प्रकार के रोग पैदा हो रहे है, उनमें से कपास में गुलाबी सुंडी का प्रकोप बहुत महत्वपूर्ण है हालांकि कुछ रोग हल्के टाइप के होते हैं जो ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नही डालते परंतु कुछ ऐसे रोग भी है जो फूल बगेरह को चूस लेते हैं।
कपास में गुलाबी सुंडी की समस्या एवम् उपाय
इस समय कपास में फूल आने शुरु हो गया है अतः इस समय अच्छी पैदावार हेतु फसल में अनेक प्रकार की सावधानियां रखनी बहुत महत्वपूर्ण है, जो आगे चलकर अच्छा उत्पादन दे सके। कपास में इस समय प्रमुख समस्या गुलाबी सुंडी (pink boolworm) का प्रकोप काफी खेतो मे देखा जा रहा है जिसके कारण किसान साथी काफी परेशान हैं। इसके कारण काफी आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है, चलिए इस आर्टिकल में हम गुलाबी सुंडी के कारण, पहचान एवम् नियंत्रण के बारे में जानकारी सांझा करेंगे।
क्या है गुलाबी सुंडी (pink boolworm in Cotton)
फसलों में गुलाबी सुंडी यानि पिंक बॉलवर्म एक प्रकार का कीट है जो कॉटन की खड़ी फसल में फूल आने पर अटैक करती है एवम् फल फूल को चूस लेती है, इसके एग (अंडे) का रंग बैंगनी होता है जो नए बन रहें फूल एवम् कलियों पर प्रमुखत पाया गया है। इसका लार्वा फूलों में घुसकर उन्हे खा जाता है।
गुलाबी सुंडी के प्रकोप के प्रमुख कारण
कॉटन की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप का प्रमुख कारण उसकी रोग प्रतिरोधकता कम पाया जाना है। भारत के अधिकतर हिस्सों में इस समय कपास की जेनेटिकली मॉडिफाइड यानि बीटी कॉटन किस्म उगाई जा रही है जिसमे एक प्रकार का रोग प्रतिरोधकता हेतू जीन उपलब्ध होता है। परंतु अत्यधिक मात्रा में इस जीन की उपलब्धता के चलते इसकी रोग के प्रति लड़ने की शक्ति खत्म हो जाती है एवम् फसल पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है।
गुलाबी सुंडी के नियंत्रण एवम् उपयुक्त उपाय।
गुलाबी सुंडी के नियंत्रण हेतु समय समय पर अनेक प्रकार के उपाय कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए जाते है, जिनमे अनेक प्रकार के कीटनाशकों के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है, आज हम कुछ ऐसे उपाय जानते हैं जो काफ़ी किसानो के लिए लाभप्रद साबित हो सकते है।
1 बायोकंट्रोल का करे इस्तेमाल
गुलाबी सुंडी को नियंत्रण हेतु प्राकृतिक दुश्मन का प्रयोग करें। इसके प्रमुख उदाहरण ट्रिचोग्रामा चिल्डोरमा एवम् ट्रिचोग्रामा ब्रसिकूर . उक्त कीट गुलाबी सुंडी के प्रति प्राकृतिक रोग प्रतिरोधकता का काम करते हैं।
2.फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करे
फेरोमोन ट्रैप के द्वारा भी गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी करने में सहायक सिद्ध होता है। इस ट्रैप द्वारा आसानी से गुलाबी सुंडी के प्रकोप के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है। जिससे आसानी से ग्रहित पौधे की पहचान कर सकते है।
3.जैविक उपाय
कपास के पौधे में नीम के तेल एवम् निम्बोली का घोल बनाकर स्प्रे के रुप में छिड़काव करके भी गुलाबी सुंडी नियंत्रण हेतु सहायक सिद्ध हो सकता है।
4.कीटाणुनाशक दवाओं का उचित इस्तेमाल
यदि अत्यधिक मात्रा में इस समय गुलाबी सुंडी की समस्या आती है तो सबसे पहले कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए कीटनाशकों का इस्तेमाल करे। कयोंकि अत्यधिक मात्रा में बगैर सलाह लिए आर्थिक हानि तो होती है ही साथ ही अनेक प्रकार की समस्या जैसे पर्यावरण प्रदूषण एवम् जानमाल का नुकसान का खतरा भी रहता है।
Note:- उक्त जानकारी सामान्य उद्देश्य हेतु उपलब्ध करवाई गई है। खेतो मे यदि अत्यधिक मात्रा में इस प्रकार के रोग की समस्या आ रही है तब डॉक्टरों से उचित परामर्श लेवे, ताकी किसी प्रकार की आर्थिक हानि न उठानी पड़े।
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